Sunday, January 6, 2019

मायावती-अखिलेश की मुलाकात, सीबीआई का शिकंजा और यूपी की पॉलिटिक्स

इस भरोसे की सबसे बड़ी वजह तो यही है कि भारत में सबसे ज़्यादा - जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी और तो और नरेंद्र मोदी भी - प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से चुनाव जीतकर आते रहे.

दूसरी वजह देखनी हो तो 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए इस राज्य ने सबसे ज़्यादा 73 सांसदों को जिताया, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2019 में क्या होगा?

ये सवाल पिछले साल हुए गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के उपचुनाव के नतीजों के बाद से ही तैरने लगे थे, जिसमें विपक्ष के महागठबंधन ने बीजेपी के उम्मीदवारों को हरा दिया था.

शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष मायावती की मुलाकात ने नई दिल्ली की ठिठुराती सर्दी में राजनीतिक पारे को बढ़ा दिया है.

माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान 2019 के आम चुनावों के लिए बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में सहमति बन गई है, हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन दोनों पार्टी में कई नेताओं का दावा है कि कुछ दिनों में तस्वीर पूरी तरह साफ़ हो जाएगी.

गठबंधन पर सहमति
अखिलेश यादव के भाई और बदायूं से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव का कहना है, "यूपी में गठबंधन के लिए शीर्ष स्तर पर लगातार बात हो रही है, समय आने पर गठबंधन की घोषणा कर दी जाएगी. "

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफ़ीज गांधी बताते हैं, "गठबंधन को लेकर आपसी सहमति बन गई है."

हालांकि अभी ये पूरी तरह तय नहीं है कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, इसको लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी ये भी तय नहीं है कि गठबंधन में कौन कौन से दूसरे दल शामिल होंगे.

अब्दुल हफ़ीज कहते हैं, "कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा या फिर गठबंधन में और कौन से दल शामिल होंगे, इसके बारे में अंतिम फ़ैसला दोनों पार्टी के अध्यक्ष तय करेंगे."

वैसे गठबंधन के भविष्य को लेकर कुछ सवाल सहयोगी दलों को लेकर भी बने हुए हैं, मसलन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में कांग्रेस शामिल होगी या नहीं, ये सस्पेंस बना हुआ है.

मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के दो सांसद हैं- सोनिया गांधी और राहुल गांधी. ये भी कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इन्हीं दोनों सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ने को तैयार हैं.

जबकि दूसरी ओर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने से कांग्रेस पार्टी का मनोबल बढ़ा हुआ है. लेकिन कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने की संभावना अभी भी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है.

कांग्रेस का क्या होगा?
कांग्रेस विधानमंडल के नेता अजय कुमार लल्लू ने बताया, "महागठबंधन के लिए शीर्ष नेताओं के स्तर पर लगातार बातचीत जारी है. अभी कुछ नहीं कहा जा सकता." हालांकि कांग्रेस राज्य की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के प्लान बी पर भी काम शुरू कर चुकी है.

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खेमे में भी कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी का नुक़सान बढ़ेगा.

वैसे, समाजवादी पार्टी- बहुजन समाज पार्टी अपने गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के अलावा कुछ अन्य दलों को भी साथ लेने पर विचार कर रही है, इसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (अभी एनडीए में शामिल) और अन्य छोटे छोटे दल शामिल हैं.

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